Monday, July 30, 2018

नारी-शक्ति

एक सुन्दर ,सलोनी प्यारी सी 
लड़की की ये कहानी है। 
जिसकी शादी थी दो दिन में
बदली उसकी जिन्दगानी है। 

जा रही थी वह बाज़ार कुछ अँधियारी गलियों से
पीछे से कुछ इंसान आये शैतानों के मुखौटे में। 

पकड़ लिया उसको सबने 
जैसे कोइ खिलौना हो। 
दबोच लिए ऐसे सबने
जैसे कोई टुकड़ा हो। 

चिल्लाती रही, वह दुबकती रही
शैतानों के आगे गिड़गिड़ाती रही। 

नहीं सुनी किसी ने उसकी
अस्मत लूटली सबने जिसकी। 
उनकी हरक़त नापाक़ थी 
लड़की बेचारी बदहवास थी। 

मरा समझ के छोड़ गए वे जिस नारी को 
क्या पता था उन्हें पड़ेगी उन पर भारी वो। 

लड़की ने होश सम्भाला 
अंदर की दुर्गा को जगा डाला। 
दुर्गा की भाँति ही उसने 
महिषासुरों का वध कर डाला। 

नारी को तुम कम न समझना 
नारी गुण की खान है। 
नारी बिना जीवन में 
न राग है ना ज्ञान है।

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