Wednesday, September 26, 2018

श्री गणेश


नीलकंठ के हो तुम दुलारे ,
मैया पार्वती के प्यारे सितारे। 
कार्तिकेय के तुम हो भ्राता ,
रिद्धि -बुद्धि-सिद्धि के तुम हो ज्ञाता। 

शिव जी के तुम वंश हो ,
मैया पार्वती के अंश हो।
सुख दाता हो दुःख हर्ता ,
मांगलिक पर्व के तुम कर्ता हो। 

एकदन्त हो , लम्बोदर हो 
गौरिसुत हो ,लंबकर्ण हो। 
तुम हो महेश्वेर तुम हो प्रथमेश्वर ,
तुम हो धार्मिक तुम ही कवीश्वर। 

आमोद -प्रमोद के तुम प्रेमी ,
मूषक वाहन के तुम हो स्वामी। 
बुद्धि के तुम ईश्वर हो ,
तुम ही तो हमारे विघ्नेश्वर हो। 

मनोमय हो , मृत्युंजय हो ,
तुम तो हमारे रुद्रप्रिय हो। 
सुमुख स्वरुप सी तुम्हारी काया ,
भक्तों का तुम बनते साया। 

गणपति बाप्पा जय हो तुम्हारी ,
अगले बरस की शीघ्र करना तैयारी। 

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