Tuesday, August 21, 2018

क्या ये मेरी कल्पना है ..... ?


आँखे बंद करने पर एहसास तुम्हारा होता है ,
धूप में आगे चलने पर साया तुम्हारा दिखता है। 
क्या ये मेरी कल्पना है .. या मेरा पागलपन 

बारिश न हो फिर भी भीगा सा महसूस करता हूँ ,
तेरे चेहरे के नूर को हर तरफ़ में देखा करता हूँ। 
क्या ये मेरी कल्पना है .. या मेरा पागलपन 

अकेले बैठा - बैठा खुद से बाते करता हूँ ,
ख्यालों में तेरे अक्सर मैं खोया रहता हूँ। 
हर चेहरे में सिर्फ़ तू ही नज़र आती है ,
हर रास्ते की मंजिल तू ही मुझे लगती है। 
क्या ये मेरी कल्पना है .. या मेरा पागलपन 

अकेले सफर में साथ तेरा लगता है ,
दिल मेरा आजकल ज़रा तेज धड़कता है। 
साँसे मेरी न जाने क्यों कभी - कभी थम सी जाती है ,
कानों में मेरे तेरी वो मीठी आवाज़ सुनाई देती है।
 क्या ये मेरी कल्पना है .. या मेरा पागलपन

 अगर ये कल्पना है तो इसे कल्पना ही रहने दो ,
  तुम न सही तुम्हारी यादों को ही रहने दो।

No comments:

Post a Comment

Featured Post

नारी-शक्ति

एक सुन्दर ,सलोनी प्यारी सी  लड़की की ये कहानी है।  जिसकी शादी थी दो दिन में बदली उसकी जिन्दगानी है।  जा रही थी वह बाज़ार कुछ अँध...